दिनांक 19/04/2013 को क़ृषि विज्ञान केन्द्र दुर्ग में क़ृषि विज्ञान केन्द्र दुर्ग एवं राजनांदगांव के वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी क़ृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एस. के. पाटिल ने की। कार्यक्रम मे इंदिरा गांधी क़ृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डा. जे. एस. उरकुरकर, उद्यानिकी महाविद्यालय राजनांदगांव के अधिष्टाता डा. प्रशांत दुबे, डा. के एल. नन्देहा, प्रधान वैज्ञानिक, श्री आर. एल. खरे उपसंचालक क़ृषि जिला दुर्ग, श्री आर. के. राठौर उपसंचालक क़ृषि राजनांदगांव एवं उपसंचालक उद्यानिकी दुर्ग, श्री भुपेन्द्र पांडे उपस्थित थे। डा. के. आर. साहु, कार्यक्रम समंवयक क़ृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव, डा. एल. एस. वर्मा, कार्यक्रम समंवयक क़ृषि विज्ञान केन्द्र दुर्ग के आलावा दुर्ग एवं राजनांदगांव के वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्यगण, विभिन्न विषयो के विषय वस्तु विशेषज्ञों ने भाग लिया।


राजनान्दगांव क़ृषि विज्ञान केन्द्र के वर्ष 2012 की प्रगति प्रस्तुति के दौरान मान. कुलपति महोदय ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय की संसतुत तकनीक (Recommended Technology) को प्रक्षेत्र परीक्षण कार्यक्रम मे न लेकर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत लिया जाना चाहिये।

उपसंचालक क़ृषि राजनांदगांव ने करगा की समस्या की जानकारी दी। मान. कुलपति महोदय ने सुझाव दिया कि करगा सम्बन्धी समस्या पर प्रशिक्षण एवं प्रक्षेत्र परीक्षण प्रस्तावित किये जाएं।

मान. कुलपति महोदय ने सुझाव दिया कि क़ृषि विज्ञान केन्द्र को बीज उत्पादन पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है जिससे वे अपने क्षेत्र के किसानो को बीज उपलब्ध करा सकें।

मान. कुलपति महोदय ने क़ृषि विज्ञान केन्द्र के फार्म मे क़ृषिगत भूमि (Cultivated Land) की जानकारी ली व पानी का जायजा लिया। उन्होने क़ृषि विज्ञान केन्द्र फार्म मे 100% उत्पादन लेने हेतु निर्देशित किया।

निदेशक विस्तार सेवाएं ने सुझाव दिया कि प्रथम पंक्ति प्रदर्शन की संख्या के आधार पर ही प्रक्षेत्र दिवस प्रस्तावित किया जाए। कुलपति महोदय ने दुर्ग जिले की फसल पद्धति (Cropping System) मे समस्याओं के आधार पर प्रक्षेत्र परीक्षण कार्यक्रम प्रस्तावित करने की सलाह दी।

तत्पश्चात कुलपति महोदय ने सुझाव दिये कि-

 हम अपने क़ृषि विज्ञान केन्द्र के फार्म को इस प्रकार विकसित करे जिसे देखकर किसान उनका अनुसरण करें।

 क़ृषि विज्ञान केन्द्र के फार्म मे बीजोत्पादन कार्यक्रम लेने का प्रयास करें जिससे अधिक से अधिक किसान क़ृषि विज्ञान केन्द्र मे भ्रमण करें। साथ ही हम उन्हें बीज उपलब्ध कराने का प्रयास करें।

 फसल उत्पादन क़ृषि विज्ञान केन्द्र मे ऎसा हो जो किसानो को प्रोत्साहित करे

 क़ृषि विज्ञान केन्द्र के फार्म मे 6-6.5 टन उत्पादन हो ऎसी कोशिश करें।

 क़ृषि विज्ञान केन्द्र के फार्म 100% क्षेत्र क़ृषिगत हो, फल और सब्जियों को भी फार्म मे पर्याप्त स्थान दें।

कार्यक्रम के अंत मे क़ृषि विज्ञान केन्द्र दुर्ग के कार्यक्रम समंवयक डा. एल. एस. वर्मा ने कुलपति महोदय को आश्वस्त किया कि उनके दिशानिर्देशों का भविष्य मे क़ृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा पालन किया जायेगा। डा. वर्मा ने सभा मे उपस्थित सभी अतिथिगणों का आभार व्यक्त किया साथ ही समस्त उपस्थित कृषकगणों, क़ृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव, दुर्ग के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।

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